कभी दिनेश लाल यादव के पास चप्पल खरीदने तक के नहीं थे पैसे, दूसरे घरों में जाकर किया काम, आज है भोजपुरी के सबसे बड़े सुपरस्टार

भोजपुरी जगत में बात जब सबसे उम्दा और बड़े कलाकारों की आती है तब उसमें दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ का नाम जरूर लोग लेते नजर आते हैं। भोजपुरी में वैसे तो कई ऐसे नामी कलाकार आए हैं जिन्होंने विश्व स्तर पर जाकर भोजपुरी की पहचान बढ़ाई है लेकिन दिनेश लाल यादव उन कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने कभी भी पर्दे पर गलत तरीके से काम करके अपनी वाहवाही नहीं बटोरी है।

निरहुआ के शानदार प्रदर्शन की वजह से सभी लोग उनकी खूब इज्जत करते हैं और इन दिनों में यह अभिनेता अपने संघर्षों की दास्तान की वजह से चर्चाओं में है। आइए आपको बताते हैं कैसे दिनेश लाल यादव के संघर्षों की दास्तान को सुनकर सभी लोग इस अभिनेता की जमकर तारीफ कर रहे हैं।

दिनेश लाल यादव के पास एक समय में नहीं था साइकिल खरीदने का पैसा

नामी कलाकारों में से एक दिनेश लाल यादव ने हाल ही में अपने संघर्षों की दास्तान को बताया है। दिनेश लाल निरहुआ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां पर अपनी आजीविका चलाने के लिए बचपन से ही उन्हें काम पर जाना पड़ता था। हालांकि निरहुआ बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे और वह दूसरे गांव जाकर सिर्फ कुछ रुपयों के लिए गाना गाते थे और कई समारोह में इसी वजह से इस अभिनेता को बुलाया जाता था।

लेकिन उस दौर में निरहुआ की इतनी हैसियत नहीं थी कि वह अपने पैरों के लिए चप्पल खरीद सके और इसी वजह से वह नंगे पैर दूसरे गांव में जाया करते थे। आइए आपको बताते हैं कैसे निरहुआ ने इस मुकाम पर पहुंचने के लिए और भी कई संघर्ष किए हैं जिस की दास्तान को सुनकर लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं।

दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ जो आज बॉलीवुड के सबसे बड़े और नामी कलाकारों में से एक माने जाते है इस अभिनेता के बारे में आपको बता दें कि इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया है। दरअसल जब निरहुआ नए-नए इस इंडस्ट्री में सक्रिय हुए थे और उन्हें दूसरे गांव में गाना गाने के लिए न्योता मिलता है।

तब यह अभिनेता पैदल ही खाली पैर वहां तक जाता था क्योंकि उनके पास साइकिल खरीदने तक के पैसे नहीं थे। हालांकि अपने मेहनत के दम पर आज निरहुआ के पास वह सब कुछ है जो वह चाहते थे लेकिन साथ में निरहुआ ने यह भी बताया कि कभी भी अपने संघर्षों की वजह से अपने कदम को पीछे नहीं खींचना चाहिए क्योंकि बिना संघर्ष के कोई भी मुकाम हासिल नहीं होता।

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