मां पर टूटा दुखों का पहाड़, इकलौते बेटे को दी मुखाग्नि; देखने वालों की आंखें हो गईं नम

उत्तर प्रदेश के जौनपुर

में सामाजिक बंधन को तोड़ते हुए भाजपा नेत्री और किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य अंजू पाठक ने अपने इकलौते बेटे को मुखाग्नि दी. उन्होंने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस बेटे को बुढ़ापे की सहारा समझी थी, उसे ही उन्हें कंधा देना पड़ेगा

सोमवार को जौनपुर के राम घाट पर यह दृश्य देखकर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं. 10 वर्ष पहले पति की भी मौत गई थी. पति की मौत और घर में कोई और पुरुष ना होने के चलते अंजू पाठक को मजबूरी में बेटे को मुखाग्नि देनी पड़ी.

अंजू पाठक

के इकलौते बेटे हिमांशु पाठक (30) की काफी दिनों से तबीयत खराब चल रही थी उसका इलाज वाराणसी में चल रहा था. कुछ दिनों से हिमांशु की तबीयत बिगड़ती गई. सोमवार को लंबी बीमारी के बाद वह चल बसा. अंजू पाठक ने 5 वर्ष पहले हिमांशु की शादी धूमधाम से की थी. दुनिया को अलविदा कहने से पहले हिमांशु तीन साल की बेटी को छोड़ गए. घर पर हिंदू रीति-रिवाज के साथ पिंडदान करने के बाद अंजू पाठक ने बेटे को मुखाग्नि दी.

अंजू पाठक के पति

राज नारायण पाठक उर्फ राजा पाठक की करीब 10 साल पहले हत्या कर दी गई थी. राजा पाठक का प्रिंटिंग प्रेस था. पति की मौत के बाद अंजू पाठक ने पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए अपने को संभाला था. दो संतानों में हिमांशु के अलावा एक बेटी भी है. बेटी की भी शादी हो चुकी है.

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