सोशल मीडिया
पर एक टीवी जर्नलिस्ट की कहानी वायरल हो रही है. बताया जा रहा है कि उसकी स्थिति अब इतनी खराब हो चुकी है कि उसे स्ट्रीट फूड बेचना पड़ रहा है इस पोस्ट पर कई लोग पत्रकार के साथ सहानुभूति प्रकट करते दिख रहे हैं.
मामला अफगानिस्तान का है. पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार में काम कर चुके कबीर हकमाली ने ट्वीट कर एक पत्रकार की कहानी शेयर की है. उन्होंने तीन फोटोज भी शेयर किए हैं. एक में वह एंकर की पोज में किसी स्टूडियो में बैठे दिखते हैं. दूसरे में वह सड़क किनारे कुछ सामान के साथ बैठे दिखते हैं.
कबीर हकमाली ने
ट्वीट कर लिखा- तालिबानी राज में अफगानिस्तान में पत्रकारों की जिंदगी. मूसा मोहम्मदी ने सालों तक एंकर और रिपोर्टर के तौर पर अलग-अलग टीवी चैनल्स में काम किया. अब उनके पास परिवार को खिलाने भर भी पैसे नहीं हैं. वह स्ट्रीट फूड बेचकर कुछ पैसे कमाते हैं. लोकतंत्र के खातमे के बाद से अफगानी लोगों को अप्रत्याशित गरीबी झेलनी पड़ रही है.
Journalists life in #Afghanistan under the #Taliban. Musa Mohammadi worked for years as anchor & reporter in different TV channels, now has no income to fed his family. & sells street food to earn some money. #Afghans suffer unprecedented poverty after the fall of republic. pic.twitter.com/nCTTIbfZN3
— Kabir Haqmal (@Haqmal) June 15, 2022
इस पोस्ट पर
कई भारतीय लोगों ने भी कमेंट किया है. एक यूजर ने लिखा है- लव एंड केयर फ्रॉम इंडिया… उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार इन लोगों की मदद करेगी दूसरे ने लिखा- भारत आ जाओ, यहां ज्यादा अवसर हैं.
इससे पहले कबीर ने ट्वीट कर एक और पत्रकार का वीडियो शेयर किया था. उन्होंने तब एकराम इस्माती के साथ हुई घटना के बारे में बताया था. उन्होंने लिखा- यह एक अफगानी पत्रकार, एकराम इस्माती हैं. तालिबान ने काबूल के PD5 से उनका अपहरण कर लिया था. उन्हें पीटा गया और अपमानित किया गया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने जींस पहन रखा था और उनकी दाढ़ी शेव की हुई थी. गैरकानूनी तरीके से एकराम का फोन चेक किया गया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई.
This is Ekram Esmati, an #Afghan journalist. He was abducted by #Taliban this morning in PD5 #Kabul, beaten & humiliated only because he was wearing jeans and had his beard shaved. They illegally checked his phones & threatened him to death. #Afghanistan #JournalismIsNotACrime pic.twitter.com/tcNBObeQlf
— Kabir Haqmal (@Haqmal) June 14, 2022