अगर हम अपने
लक्ष्य पर निरंतर प्रयत्न करते रहे और धैर्य और पूरी मेहनत लगन से हम अपने कार्य को पूर्ण करने में जुट जाएं तो अवश्य ही सफलता प्राप्त होती है.
आज हम
आपसे बात करने जारहे है IAS अधिकारी अरविंद मीणा की.जो की मिट्टी के घर मे रहे माँ ने मज़दूरी कर पढ़ाया आज IAS बनकर देश की सेवा कर रहे है अरविंद मीणा.
आपको बतादे
राजस्थान के ज़िला दौसा, सिकराया उपखंड क्षेत्र के नाहरखोहरा गांव में एक बेहद ग़रीब परिवार में अरविंद कुमार मीणा का जन्म हुआ. अरविंद सिर्फ़ 12 साल के थे जब उनके पिता की अचानक मौत हो गई. जनसत्ता के लेख के अनुसार, ये परिवार पहले से ही ग़रीबी की मार झेल रहा था और पिता की मौत के बाद परिवार की मुश्किलें और बढ़ गई.घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल ही खराब हो गई.
और भी ज्यादा
कठिनाइयां बढ़ गई ऐसे में अरविंद बुरी तरह टूट गए और उनके साहस ने भी जवाब दे दिया.जानकारी के लिए बता दें पिता के गुजर जाने के बाद अरविंद की मां ने बेटे की जिम्मेदारी संभाली गरीबी के कारण यह परिवार बीपीएल श्रेणी में आ गया.
मेहनत मजदूरी करके
अरविंद की मां ने उन्हें पढ़ाया मिट्टी के घर में रहकर अरविंद ने स्कूल कॉलेज की पढ़ाई पूरी की. कठिनाई भरे मुश्किल भरे समय में अक्सर ही यह कठिनाइयां इंसान का साहस तोड़ देती हैं.मुश्किलें इंसान को हमेशा ही अंदर से तोड़ देती हैं लेकिन खुद को सहेज कर आगे बढ़ना ही साहस की पहचान कराता है. तभी अरविंद के साथ भी ऐसा ही हुआ मुश्किल भरे समय में अरविंद ने हिम्मत नहीं हारी और घर की आर्थिक हालात ने अरविंद को तोड़ दिया उन्होंने पढ़ाई लिखाई छोड़ देने का मन बना लिया. लेकिन उनकी मां ने बेटे की पढ़ाई लिखाई छोड़ दिए जाने से अपने हौसले को नहीं टूटने दिया मां ने बेटे का हौसला बढ़ाया. और हिम्मत दी मां के साथ अरविंद को ताकत दी और वह दोबारा मेहनत करने में जुट गई.अरविंद मीणा ने भी काफी मेहनत और लगन से अपने इस कठिन समय में अपनी शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया. और अरविंद की मेहनत रंग लाई. उनका चयन सशस्त्र सीमा बल में सहायक कमांडेंट पोस्ट पर हो गया.सेना में नौकरी करने के साथ ही अरविंद ने यूपीएससी की तैयारी भी कर ली.अरविंद ने यूपीएससी की परीक्षा दी अरविंद ने देश भर में 676 वा अंक प्राप्त किए और एससी वर्ग में 12 स्थान प्राप्त किया. मिट्टी के घर से लेकर आईएएस की कुर्सी तक का अरविंद मीणा का सफर हर किसी के लिए प्रेरणादायक बन गया.