हमारे अंगदान करने से
कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है.यह विचार भी हमें अलग खुशी देता है.आगामी 14 फरवरी को ऑर्गन, आई और टिश्यू डोनर डे है.तो क्यों न इस मौके पर हम भी अंग, नेत्र व टिश्यू का दान कर दूसरों को जीवन देने का प्रण लें.अंगदान की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दे रह हैं
कभी ऑर्गन फेलयर के चलते
तो कभी एक्सीडेंट के कारण ऑर्गन ट्रांसप्लांट जरूरी होता है, पर हर वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु सिर्फ इसलिए हो जाती है, क्योंकि उन्हें कोई डोनर नहीं मिल पाता.इतनी बड़ी आबादी वाले हमारे देश में ऑर्गन डोनेट करने वालों की कमी के चलते अकसर लोग असमय चले जाते हैं.इस स्थिति को टाला जा सकता है अंगदान करके.सेंटर फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट के सुनील कुमार अलेडिया कहते हैं कि मरने के बाद अगर हमारे अंग किसी के काम आ जाएं, तो इससे बड़ा दान कोई हो नहीं सकता.इसके जरिए आप मरने के बाद भी किसी को जीवनदान दे सकते हैं.भारत में लोगों के बीच जागरूकता की कमी के कारण अंगदान का प्रतिशत उतना अधिक नहीं है, जितना होना चाहिए.
भारतीय चिकित्सा संघ के अध्यक्ष
डॉ. के. के. अग्रवाल कहते हैं कि यह वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा जैविक ऊतकों या अंगों को एक मृत या जीवित व्यक्ति से निकालकर उन्हें किसी दूसरे के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को हार्वेस्टिंग के रूप में जाना जाता है.इसे ही सरल शब्दों में अंगदान कहा जाता है.अंगदान पूरी तरह से आपकी सोच पर निर्भर करता है.यदि आप दूसरों को जीवन दान करना चाहते हैं, तो अंगदान बेहतर विकल्प हो सकता है.जरूरतमंद कोई भी हो सकता है, मित्र या परिवार का सदस्य भी.
हमारे देश में लिवर, किडनी और हार्ट के ट्रांसप्लांट की सुविधा है.कुछ मामलों में पैंक्रियाज भी ट्रांसप्लांट हो जाते हैं.दूसरे अंदरूनी अंग जैसे अग्नाशय, छोटी आंत, फेफड़े के साथ ही त्वचा व आंखों को भी दान किया जा सकता है.आप हड्डियां, त्वचा, नसें, स्नायुबंधन, हृदय के वॉल्व, कार्टिलेज आदि भी दान कर सकते हैं.अंगदान में शरीर के अंदरूनी पार्ट जैसे किडनी, फेफड़े, लिवर, हार्ट, इन्टेस्टाइन, पैंक्रियाज आदि अंग आते हैं.टिश्यू दान में आंखों, हिड्डयों और त्वचा का दान होता है.
कौन कर सकता है अंगदान
जिसे कैंसर, डायबिटीज जैसी घातक बीमारी नहीं है,वह व्यक्ति अंगदान कर सकता है.कैंसर और एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति, सेप्सिस या इन्ट्रावेनस दवाओं का इस्तेमाल करने वाले अंगदान नहीं कर सकते.
20 महीने की इस बच्ची ने अपने चेहरे की मुस्कान को 5 अलग-अलग लोगों में बांट दी. खुद इस दुनिया से जाते-जाते 5 लोगों को नई जिंदगी दे दी. यह बच्ची सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर बन गई है. इसने अपने शरीर के 5 अंगों को दान किया है.रिपोर्ट के मुताबिक़, 20 महीने की धनिष्ठा दिल्ली के रोहिणी इलाके में रहती थीं. 8 जनवरी को खेलते हुए वह अपने घर की पहली मंजिल से नीचे गिर गईं. उन्हें गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने इलाज की बहुत कोशिश की. इसके बाद भी वह ठीक नहीं हो पाईं.
11 जनवरी को धनिष्ठा को
ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. दिमाग के अलावा उसके शरीर के सारे अंग काम कर रहे थे. उसके पिता आशीष और मां बबीता ने उसके बाद अंग दान करने का फैसला लिया. धनिष्ठा का हर्ट, लीवर, दोनों किडनी और कॉर्निया निकालकर 5 रोगियों को प्रत्यारोपित किया गया.ऐसे में धनिष्ठा मरने के बाद भी 5 लोगों को नया जीवन दे गई. वह अपने चेहरे की मुस्कान उन 5 लोगों के चेहरे पर छोड़ गई. उनके परिजनों ने भी अपनी बेटी के अंगदान से दूसरों की मदद को बेहतर समझा और पूरा सहयोग किया.
इस प्रक्रिया को एक निश्चित समय के भीतर पूरा करना होता है.ज्यादा समय होने पर अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। अंग निकालने की प्रक्रिया में अमूमन आधा दिन लग जाता है.किसी व्यक्ति की ब्रेन डेथ की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर उसके घरवालों की इच्छा से उसके शरीर से अंग निकाल लेते हैं.इससे पहले सभी कानूनी प्रकियाएं पूरी की जाती हैं.
अंगों की सुरक्षा कोई भी कर सकता है नेत्रदान
जिन लोगों की नजर कमजोर है, चश्मा लगाते हैं, मोतियाबिंद या काला मोतिया का ऑपरेशन हो चुका है,वे भी अपनी आंखों को दान कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीज भी आंखें दान कर सकते हैं.रेटिनल या ऑप्टिक नर्व से संबंधित बीमारी के कारण अंधेपन का शिकार हुए लोग भी आंखों का दान कर सकते हैं.रेबीज, सिफलिस, हेपेटाइटिस या एड्स जैसी संक्रामक बीमारियों की वजह से मरने वाले लोग आंखें दान नहीं कर सकते.मृत शरीर से आंखें लेने में छह घंटे से ज्यादा देर नहीं होनी चाहिए.इसके लिए मृत्यु के बाद करीबी लोगों को आई बैंक को तुरंत सूचित करना होता है.
किडनी दान
हमारी दो किडनी होती हैं, जिनमें से जरूरत पड़ने पर एक डोनेट करके भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है.लेकिन इनमें काफी कड़े कानून और नियम होते हैं, ताकि व्यावसायिक रूप से इनकी खरीद-फरोख्त न होने पाए.किडनी की खरीद-फरोख्त के मामले सामने आने के कारण करीबी रिश्तेदार जैसे- माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, बच्चे, ग्रैंड पेरेंट्स व ग्रैंड चिल्ड्रन आसानी से एक-दूसरे को किडनी डोनेट कर सकते हैं, बशर्ते मेडिकल रिपोर्ट्स ठीक हों.हालांकि दूर के रिश्तेदार, दोस्त व अनजान लोग भी मानवीय आधार पर डोनेट कर सकते हैं, लेकिन इन्हें कठोर कानूनी नियमों से गुजरना पड़ता है.
अंगदान की चुनौतियां
अंगदान पर काम करने और इसके लिए लोगों को जागरूक करने वाली बी.के. शिवानी कहती हैं कि भारत में आमतौर पर लोग धार्मिक आस्थाओं के कारण अंगदान करने से बचते हैं.सही मायनों में देखा जाए तो अंगदान करना बड़े पुण्य का काम है, क्योंकि आप एक मरते हुए शख्स को जिंदगी दे रहे हैं.धर्म से संबंधित सभी मान्यताएं,जो अंगदान न करने की बात करती हैं, महज अंधविश्वास है, जिन्हें नजरअंदाज कर हर किसी को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए.
कहां करें अंगदान
अंगदान के लिए दो तरीके हो सकते हैं.कई एनजीओ और अस्पतालों में अंगदान से जुड़ा काम होता है.इनमें से कहीं भी जाकर आप फॉर्म भरकर दे सकते हैं कि आप मरने के बाद अपने कौन-से अंग दान करना चाहते हैं.संस्था की ओर से आपको एक डोनर कार्ड मिल जाएगा.फॉर्म बिना भरे भी आप अंगदान कर सकते हैं.आपके निकट संबंधी आपकी इस इच्छा को पूरा कर सकते हैं, अगर आप उन्हें अपनी इच्छा बता दें.