हिंदी दिवस 2021: हिंदी से प्यार करने वाला यह विदेशी परिवार, बच्चो को सरकारी स्कूल में पढ़ाया

योगनगरी कही जाने वाली ऋषिकेश में एक विदेशी परिवार ऐसा भी रहता है, हिंदी जिनके जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। दम्पति पीटर लॉडर और टेरिसा लॉडर का हिंदी के प्रति प्रेम का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होने अपने बच्चो को पढ़ने के लिए भी सरकारी स्कूल में भेजा। पीटर और टेरिसा के बच्चे एक आम हिंदुस्तानी से भी अच्छी हिंदी बोलते हैं। यह जानकार आपको बहुत ही ख़ुशी हो रही होगी कि अपने देश की उपेक्षित राष्ट्रभाषा इस विदेशी परिवार की पहली भाषा बन गयी है।


आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लॉडर दम्पति मूल रूप से मध्य यूरोपीय देश स्विट्ज़रलैंड के रहने वाले हैं। ये लगभग चार दशक पूर्व ऋषिकेश घूमने के लिए आये और यही के होकर रह गए। पति-पत्नी ने लक्ष्मणझूला-सिलोगी मार्ग के पास घट्टूगाड़ में अपना घर बसाया है। शुरुआत में लॉडर दम्पति को हिंदी भाषा समझने में परेशानी जरूर हुई, लेकिन स्थानीय लोगो के साथ बात करते-करते ये लोग हिंदी बिलकुल अच्छी तरह से सीख गए।


पीटर और टेरिसा के एक बेटी और एक बेटा हैं। इन्होने बेटी का नाम गंगा और बेटे का नाम गणेश रखा है। लॉडर दम्पति ने अपने बच्चो की शिक्षा के लिए भारत के सरकारी स्कूल पर भरोसा जताया। हलाकि यदि ये चाहते तो आराम से अपने बच्चो को स्विट्ज़रलैंड के किसी निजी या इंग्लिश स्कूल में पढ़ा सकते थे लेकिन इन्होने उनकी पढाई हिंदी माध्यम के सरकारी स्कूल से करने की ठानी और अपने बच्चो का दाखिला सरकारी विद्यालय में करवा दिया।


हिंदी के साथ गढ़वाली भाषा भी बोलती है गंगा


पीटर और टेरिसा के अनुसार उनकी बेटी का हिंदी, गढ़वाली, और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ है। गंगा का जन्म भारत में ही हुआ इसलिए उसे हिंदी सीखने में कोई परेशानी नहीं हुई।


पीटर और टेरिसा ने बदला नाम


पीटर लॉडर ने भारत में कुछ दिन रहने के बाद अपना नाम भोले रख लिया वही टेरिसा ने भी अपना नाम बदल कर शिवानी रख लिया है। आसपास के लोग भी इन्हे शिवानी और भोले ही बुलाते हैं।

Source

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *